बंधन जन्मों का भाग -- 6
"बंधन जन्मों का" भाग-6
पिछला भाग:--
क्या करें...? कुछ समझ नहीं आ रहा....रात होने को आ गयी... मन में कु शंकाएं घर करने लगीं क्यों नहीं आए अभी तक!! क्या बात है... किससे पूछें!!
अब आगे:--
अभी तक नहीं आए इतनी रात हो गयी, बच्चों को खिला पिला कर सुला दिया...
बाकी खाना ज्यौं का त्यौं रखा रहा...न ससुर जी ने खाया न विमला ने खाया...पूरी रात आँखों में कटी
तरह तरह के विचार मन में आ जा रहे हैं...
क्या करें...? किससे पूंछे...? है भगवान हमारी मदद करो...अच्छे से होंय जे....काये नहीं आये अभी तक....बच्चों की भी फिकर नहीं है...अरे
दिन भर तो हो गया... दोस्तों के संग...रात के तो घर आओ....पूरी रात नींद न लगी...रोने से आँखे अलग सूज गयीं विमला की.....
सुबह का सूरज निकल आया पर कोई खबर दबर
नहीं मिल पायी... नहा-धोकर जैसे-तैसे चाय बनायी
ससुर जी को दी और बच्चों को दी आज परांठे नहीं बनाए...मन ही नहीं लग रहा कुछ काम में... सो रात की रखी रोटी बच्चों को पकड़ा दी... चाय के साथ खालो बेटा.... तभी घर के बाहर कुछ आहट सी मिली सो दोड़ लगाकर बाहर पहुँची.... पुलिस की गाड़ी और इतनी पुलिस देख कर घबरा गयी.....
भागी भागी अंदर आकर हांफती सी बाबू जी...
बाबू जी बाहर पुलिस... पंडित जी तुरत फुरत
बाहर आए... आप सुखमन पंडित जी हैं....
हाँ आइये जी आइये... वो सब अंदर आए.....
आप बैंठें पहले आराम से... बेटा आप पहले पानी
लेकर आओ... लीजिए आप पहले पानी पिएं...
बेटा आप भी बैठ जाओ....ये कपड़े आपके बेटे
के हैं.... हाँ जी आप कहना क्या चाहते हैं...?
पंडित जी कल आपका बेटा दोस्तों के साथ घूमा फिरा उसके बाद शाम के समय नदी पर नहाने गया
सो सब दोस्त हँसी मजाक करते नहा रहे थे....
अचानक ही दोस्तों का ध्यान गया अरे ये बिरजू कहाँ गया... अभी तो यहीं था सब ढूंढने लगे...
कहीं नहीं दिखा सो सब घबरा गये.... तब हमें बुलाया हम सभी रात भर ढूंढते रहे...पर कुछ पता नहीं चला... अभी भी वहाँ पुलिस तैनात हैं....
हमारी तफ्शीष जारी है... आप लोग हिम्मत रखिए
हम लोग पूरी कोशिश कर रहें हैं... जैसे ही कुछ पता चलता है तो हम आपको खबर करेंगे.....
क्रमशः--
कहानीकार- रजनी कटारे
जबलपुर (म.प्र.)
Roshan
10-Jan-2022 05:32 PM
Nice
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